लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?

अथवा
मैला आँचल की आँचलिकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

आँचलिक उपन्यास वह है जिसमें किसी विशिष्ट प्रदेश, जनपद या अंचल विशेष का तथा उनमें रहने वाले सभी लोगों अथवा किसी जाति विशेष के समग्र जीवन का समग्र चित्रण होता है। उसमें लेखक का आग्रह वहाँ की प्रकृति तथा संस्कृति का वैविध्यपूर्ण चित्रण करने के प्रति अधिक रहता है। उपन्यासों में किसी अंचल विशेष में प्रचलित रीति-रिवाज, खान-पान, विश्वास - आस्थाओं, बोली आदि का चित्रण होता है। इस चित्रण में वहाँ के लोक जीवन अपनी समग्रता के साथ मुखरित हो उठता है।

मैला आँचल में आँचलिकता - श्री फणीश्वर नात रेणु कृत 'मैला आँचल' स्वयं लेखक के शब्दों में एक आँचलिक उपन्यास हैं। 6 अगस्त 1954 को प्रकाशित यह उपन्यास हिन्दू में धूमकेतु की की भांति प्रकट हुआ माना प्रकार की चर्चाओं परिचर्चाओं का विषय बन गया। इसका सबसे बड़ा कारण था इसकी आँचलिकता। कहा तो यहाँ तक गया है कि "अंचल की जिन्दगी का जितना वैविध्यपूर्ण चित्र इस उपन्यास में सम्भव नहीं हैं। निःसन्देह लेखक ने कथावस्तु, चरित्राकन, संवाद - योजना, वातावरण, उद्देश्य, भाषाशैली तथा नामकरण आदि विविध तत्वों में आँचलिकता का पूरा-पूरा समावेश प्रस्तुत उपन्यास में किया है।

कथावस्तु में आँचलिकता - 'मैला आँचल' से - "कथानक पूर्णिया है। पूर्णिया बिहार राज्य का एक जिला है...... मैंने इसके एक हिस्से के एक ही गाँव को पिछड़े गाँवों का प्रतीक मानकर इस उपन्यास का कथा क्षेत्र बनाया है।" यह गाँव है मेरीगंज जो ....... एक सांकेतिक अथवा प्रतीकात्मक अर्थ भी ध्वनित करता है। वह अर्थ है भारत के ग्रामों का विकासशील जीवन, स्थानीय सीमाओं के भीतर राष्ट्रीय प्रगति का निर्देशन।' यहाँ पर लेखक ने किसी व्यक्ति या परिवार की कहानी नहीं वरन् पूरे गाँव की कहानी कही हैं। इसमें गाँव में रहने वाले विविध टोले, विविध दल, विविध वर्ग के व्यक्ति की कथाओं से गाँव की सम्पूर्ण कथा को कहा गया है। इसके विविध स्तर और पहलू है। "ये तमाम स्तर और पहलू इस प्रकार कितने ही भिन्न-भिन्न दृष्टि बिन्दुओं से दिखाये गये हैं कि जीवन में एक साथ कई सिम्टों के हमारे सामने प्रस्तुत होता है, बहुत कुछ चलचित्र की भाँति समग्र होकर भी और अलग-अलग भी दूर से भी और पास से भी।' मठ पर नये महन्त को चादर मिलने का आयोजन, विदापति को मृत्यु, तहसील की भूमि वापसी, डॉ. प्रशांत का कमला से प्रेम प्रकरण, बालदास की लक्ष्मी और कालीचरण - लक्ष्मी, प्रकरण, भारत माता का जुलूस आदि प्रसंग ऐसे ही कुछ चित्र प्रसंग है जिनमें जीवन सहज मौलिक सहज प्रवाही रूप में सामने आया है इतना ही नहीं वरन् स्थान-स्थान पर आयी कमला मैया, सदाब्रिज, कुमार - विज्जेमान और कौआ कैथ आदि लोक कथाएँ भी कथावस्तु में आँचलिकता की समवेग की सूचक है। ग्राम विशेष से सम्बन्धित होने के कारण कथा क्षेत्र सीमित तो है किन्तु उसमें विस्तार, गहनता, यथार्थ और आत्मीयता जैसे गुण भरपूर मात्रा में हैं।

चरित्रांकन में आँचलिकता - ध्यान से देखे तो प्रस्तुत उपन्यास में किसी एक चरित्र की कथा नहीं है वरन यहाँ तो सारा अंचल ही मानो नायक बन गया है। उपन्यास में अंकित विभिन्न चरित्र ग्रामांचल के ही किसी न किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। तहसीलदार जमीदार विश्वनाथ प्रसाद तथा शिक्षित रक्त हरगौरी तथा ग्रामकल्याणक बालदेव, समाजवादी वासुदेव, महन्त सेवादास, जनसेवक बावनदास ही नहीं कमला लक्ष्मी, कमला कमली और रामप्यारी आदि ऐसे ही कुछ चरित्र हैं। अपने गुण-दोषों से युक्त ये सभी चरित्र अचल निवासियों के विविध जाते जागते रूपों को उजागर करते हैं। स्वयं लेखक के शब्दों में, "गाँव के लोग बड़े सीधे दिखते हैं, यदि सीधे का अर्थ अपढ़, अज्ञानी, अंधविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं वे। जहाँ तक सांसारिक बुद्धि का सवाल है, वे लोगों को दिन में पाँच बार ठग लेंगे।' लेखक ने इनका रहन- सहन, खान-पान, बोल-चाल, आदत-शोक, मन बुद्धि आदि सभी का अंकन पूरी तन्मयता और आँचलिकता से युक्त बनाकर किया है ये सभी विविध वर्गों जातियों, सामाजिक स्तर और विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कथांचल में व्यस्त है। साथ ही साथ इनका अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व भी बना रहा है। इसी से वे अपने आप में पूर्ण हैं। इस प्रकार सब मिलाकर कह सकते हैं कि उपन्यास के सभी चरित्र आँचलिक विशेषताओं से युक्त हैं।

संवाद योजना में आँचलिकता - प्रस्तुत उपन्यास की संवाद योजना एकदम आँचलिक गुणों से युक्त है यही कारण है कि यहाँ न तो लम्बे-लम्बे भाषण हैं और न ज्ञान स्थानीय प्रदर्शन की ऊहापोह। अधिकांश संवाद, संक्षिप्त, यथार्थपरक स्वाभाविक और जन संस्कृति के गुणों से युक्त हैं। गोपनीय या दहेज शब्दों की प्रमुखता, अंग्रेजी, उर्दू के सर्वप्रचलित शब्दों के बदले बिगड़े रूप, स्थानीय सम्बोधन, बात-बात में लोककथाओं, लोकगीतों कहावतों, मुहावरों के समावेश आदि इनको एक ओर तो प्रसंग और चरित्र के अनुकूल बनाते हैं और दूसरी ओर एकदम आँचलिकता की विशेषताओं से परिपूर्ण। इसी प्रकार हास्य-व्यंग्य का चुटीलापन और छोटी सरल वाक्य योजना इनकी पिछड़े अंचल की जन सामान्य में प्रचलित व्यवहारिक भाषा से युक्त बना देती है।

वातावरण में आँचलिकता - किसी भी रचना में आँचलिकता का चित्रण सबसे अधिक वातावरण के अंतर्गत ही किया जा सकता है। मैला आँचल भी इसका अपवाद नहीं है। यही कारण है कि इसमे लेखक ने कथांचल मेरीगंज और वहाँ की लोक संस्कृति और लोकजीवन का विपुल, विविध गहन, सूक्ष्म और सब मिलाकर प्रभावशाली अंकन किया है, वह भी अत्यन्त आत्मीयता के साथ। एकदम सच तो यह है कि मेरीगंज की लोक संस्कृति का चित्रण 'मैला आँचल' में इस व्यापकता के साथ हुआ कि इसे वहाँ की संस्कृति के इतिहास का पृष्ठ कहा जा सकता है।" प्रमाण। यहाँ पर लेखक ने यहाँ के रहने वालों के जीवन का विस्तृत चित्र अंकित किया है जिसमें जन-जीवन अपने विभिन्न कोणों के साथ मुखरित हो उठा है। 'मेरीगंज की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक प्राकृतिक और भौगोलिक सभी तरह का वातावरण चित्रण यहाँ उपलब्ध है। जाति भेद, वर्ग भेद, धनी निर्धन, नारी का रमणी और भोग्या रूप, पारस्परिक कलह, भोग-विलास, शोषण, निर्धनता स्वार्थ लिप्सा, अत्याचार, मूर्खता आद सामाजिक जीवन के उदाहरण हैं तो कांग्रेसी बानदास गाँधीवादी बालदेव, समाजवादी वासुदेव और जनसंघी संयोजक जी तथा कम्युनिस्ट कालीचरण आदि के माध्यम से अंकति चुनाव, अनशन, अहिंसा दलबन्दी, पूँजीवाद, भाई भतीजावाद आदि राजनीतिक स्थित के सूचक हैं।

उद्देश्य में आँचलिकता - लेखक ने स्वयं अपने उपन्यास को आँचलिक उपन्यास कहकर अपना सर्वोपरि उद्देश्य स्पष्ट कर दिया है। उपन्यास के कथांचल की नामा समस्याओं का कथा तथ्य अंकन, नयी युग चेतना की व्यापकता तथा अंचल का मैलापन (पिछड़ापन) दिखाकर उसने अपने इसी उद्देश्य को सार्थक किया है।

भाषा-शैली में आँचलिकता - प्रस्तुत उपन्यास में मुख्यतः आँचलिक भाषा का प्रयोग किया गया हैं। इसके लिए लेखक ने स्थानीय शब्दावली, मुहावरे लोकोक्तियाँ, लोकगीत आदि सभी अंचल विशेष (पूर्णिया) से सम्बन्धित रखे हैं। ध्यानशीलता ने इस भाषा को और भी अधिक आँचलिक रंगत प्रदान की है। यहाँ पर बुढ़िया अथवा बां-बां की तरह टकराती है, लारियाँ भर्र-भर्र शर्र' दौड़ता है, धरती पच पच करती है घंटा ठन-ठन ठनांग और सीटी 'टू टू टू टू' की आवाज से बजती है। सच तो यह है कि "प्रादेशिक या आँचलिक भाषा के प्रयोग के द्वारा सब से विचारणीय शैल्पिक उपलब्धि फणीश्वरनाथ रेणु की है। उसका इतना प्रभावशाली प्रयोग की वह उपन्यास का गौण पक्ष न रहकर उसका प्रमुख और सबसे महत्वपूर्ण पक्ष प्रतीत हो, यह 'रेणु' की विशेषता है।' इस प्रकार मैला आँचल की सबसे बड़ी उपलब्धि मैला आँचल की स्थानीय लोही के प्रयोग में हैं। जहाँ तक प्रश्न है, शैली का शैली की दृष्टि से किसी उपन्यास की परम्परा न होकर यह एक नया प्रयोग है काफी सीमा तक नया प्रयोग। इसके अंतर्गत वर्णन वितरण, संवाद, है। फ्लैश बैक, काव्यात्मक तथा लोक कथात्मक आदि विविध शैलियों के माध्यम से लेखक ने आँचलिकता को उभारा है।

नामकरण में आँचलिकता - "यह है मैला आँचल ! एक आँचलिक उपन्यास" कह लेखक ने स्पष्टतः नामकरण में आँचलिकता को स्वीकार कर लिया है। 'मैला आँचल' का शब्दार्थ है- गंदा आँचल। लाक्षणिक अर्थ है मैला प्रांत, प्रदेश या अंचल। इसी अंचल के मैले या पिछड़ेपन को उपन्यासकार ने मूल वर्णय विषय बनाया है। उपन्यास के अंत में डॉ. प्रशांत के शब्दों में मानों लेखक ही कहता है, "मैं साधना करुँगा ग्रामवासिनी भारत माता के मैले आँचल तलो।' इतना ही नहीं वरन् "मैला आँचल के सभी पात्र इस मैले अंचल की गन्दगी को दूर करने में प्रयत्नशील हैं, पात्र, घटनाएँ तथा समस्त गाँव इस बात के प्रयत्न में लीन दिखायी पड़ता है कि इस गाँव के मैले को दूर कर इसको एक आदर्श गाँव के रूप में प्रदर्शित किया जा सके।

कुछ आक्षेप और उनका समाधान - कुछ आलोचकों ने मैला आँचल के आँचलिक होने पर शंका प्रकट की है। इस सम्बन्ध में कहा गया है कि "ईमानदारी मात्र से कोई उपन्यास आँचलिकता की शर्ते पूरी नहीं कर देता। सर्वप्रथम, मैला आँचल एक गाँव को लेकर लिखा गया है, जिसके नाम पर संस्कृति के किसी खास लेबल का प्रचलन असम्भव है। दूसरी बात, लेखक.... जनपदीय उपन्यासों की सम्बद्धता और संगठनशीलता ग्रहण नहीं कर पाया। सांस्कृतिक परिवर्तन के ऐतिहासिक सत्य की व्याख्या पूर्ण रूप से नहीं हो पाई है। मैला आँचल किसी भी संस्कृति कां कोई भी एन्थ्रोपोलॉजिकल सर्वे प्रस्तुत नहीं करता है।

इस सम्बन्ध में पहली बात तो यह है कि मुख्यतः एक गाँव से सम्बन्धित होने पर भी मैला आँचल उस प्रदेश के पूरे परिवेश को समेटे हुए है। दूसरे सीमित और चलचित्र की भाँति अलग-अलग होने पर भी उसमें एक तारतम्य है। तीसरे विशेष बात यह है कि इससे पूर्व किसी भी उपन्यास में आँचलिकता का समावेश इतने विविध, विपुल, गहन, सूक्ष्म और आत्मीयता से युक्त रूप में नहीं मिलता। निष्कर्ष स्वरूप में कह सकते हैं कि रेणु जी ने अपने 'मैला आँचल' में आँचलिक कथा, परिवेश, जीवन संस्कृति और भाषा आदि का समावेश पूर्ण रुचि के साथ किया है। इस प्रकार आँचलिक चित्रण की ऐसी सम्भावनायें सर्वप्रथम इसी उपन्यास में व्यक्त हुई है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book